खुदा का पैगाम इन्सान के नाम
लेखक कमलेश चौहान
कॉपीराइट २००८ @ कमलेश चौहान
चाँद को चादनी का तौफा दिया है है उस खुदा ने
सूरज को बनाया दिन का ताज उस ईश्वर ने
इन्सान के लिये बनायीं थी मालिक ने एक ही ज़मीं
जमीं के लिये गिराई इन्सान ने अपनी ज़मीर
मसीहा भी मेरा नाम, अल्लाह भी रखा मेरा नाम
राम रहीम एक है जान, कबीर करीम का है यह पैगाम
मत काटो सर मासूमो के मेरे कश्मीर मे लाकर मेरा नाम
मेरी ही बख्शी ज़मीं पी, मासूमो का मंगाते हो बलिदान
जिहाद तो बनाया था अपने अंदर के कुफर से लड़ना
शत्रंज़ , शराब और मन की बुराईयों से ज़ंग करना
लेकिन अब मै कया कहूँ , कोई मानता नहीं मेरा इमाम
मेरे ही प्यारो ने कर दिया ,मेरा ही नाम बदनाम