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खुदा का पैगाम इन्सान के नाम

खुदा का पैगाम इन्सान के नाम लेखक कमलेश चौहान कॉपीराइट २००८ @ कमलेश चौहान चाँद को चादनी का तौफा दिया है है उस खुदा ने सूरज को बनाया दिन का ताज उस ईश्वर ने इन्सान के लिये बनायीं थी मालिक ने एक ही ज़मीं जमीं के लिये गिराई इन्सान ने अपनी ज़मीर मसीहा भी मेरा […]

Laughter

Laughter… Roars from all sides..why does it sound so alien.. Oh Yes, I remember… God was it that long ago I remembered its existance Why did you snatch it from me Children running.. Running with the joy of life.. Why I was running from you.. faster and faster until it feel safe for short Period […]

वोह लम्हे

सदियों तक तेरी मीठी याद की गुलामी करती रही तेरी यादो नै बांध के रखा, संगदिल; में उलझी रही ना जाने कॉलेज के एक बगीचे में खामोश खड़ी थी तू जाते जाते रुका तेरी चेहरे पर मस्त ख़ुशी सी थी मेरी जुल्फों को कभी मैकदा और काली घटा कहा था मेरी झुकी नज़रो से ना […]

मेरे सपने

वोह जो थे कभी मेरे अपने वोह जो थे कभी मेरे सपने आज वोह अपने ही तो बने बेगाने है बिखरी धुल के कुछ भूले अफसाने है वक़त के सितम है बेहिसाब दुनिया के रंग है बेशुमार कौन करे किस्सी का ऐतबार प्यार बिकता है भरे बाज़ार चलो अच्हा हुवा तुम हमें भूल गए इसी […]

ये चाँद आज फिर निकला है

ये चाँद आज फिर निकला है यु सज धज के मुहबत का जिक्र हो शायद हाथो की लकीरों मे याद दिलाता है मुझे एक अनजान राही की याद दिलाता है उन मुहबत भरी बातो की टूट कर चाहा इक रात दिल ने एक बेगाने को कबूल कर लिया था उसकी रस भरी बातो को वोह […]

कश्मीर मेरी जनम भूमि की पुकार: लेखक : कमलेश चौहान

कश्मीर मेरी जनम भूमि की पुकार लेखक : कमलेश चौहान २००९ ओह ! आसमान वाले, ओह! दुखियों के रखवाले तेरा है भारत तू भारत का,महाभारत रचाने वाले तेरी मोजुदगी में हर कश्मीरी भारती रोता रहा तू जानकर भी इस कदर खामोश देखता रहा तुने देखी हिन्दू माँ की लावारिस लाशे तुने सुनी हजारो लाचार पुत्रो […]

भूली बिसरी याद : लेखक कमलेश चौहान

वोह कश्मीर की वादिया, वोह ठंडी हवाए वोह झील के मंजर वोह महकती फिजाए सदियों तक तेरी मीठी याद की गुलामी करती रही तेरी यादो नै बांध के रखा, संगदिल; मै उलझी रही ना जाने कॉलेज के एक बगीचे मै खामोश खड़ी थी तू जाते जाते रुका तेरी चेहरे पर मस्त ख़ुशी सी थी मेरी […]