वोह जो थे कभी मेरे अपने
वोह जो थे कभी मेरे सपने
आज वोह अपने ही तो बने बेगाने है
बिखरी धुल के कुछ भूले अफसाने है
वक़त के सितम है बेहिसाब
दुनिया के रंग है बेशुमार
कौन करे किस्सी का ऐतबार
प्यार बिकता है भरे बाज़ार
चलो अच्हा हुवा तुम हमें भूल गए
इसी बहाने हम दुनिया से जुदा हो गए
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